विश्व हिन्दी सम्मेलन और हिन्दी का वैश्वीकरण

विदेश मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा 15 से 17 फरवरी, 2023 तक फिजी में ‘12वां विश्व हिन्दी सम्मेलन’ का आयोजन किया जा रहा है । फिजी के नांडी शहर में होने वाले इस तीन दिवसीय विश्व हिन्दी सम्मेलन का आयोजन विदेश मंत्रालय, भारत सरकार और फिजी सरकार द्वारा संयुक्त रूप से किया जा रहा है ।

2018 में मॉरीशस में हुए 11वें विश्व हिन्दी सम्मेलन में ही यह घोषणा की गई थी कि 12वां विश्व हिन्दी सम्मेलन फिजी में आयोजित किया जाएगा । यह आयोजन 2021 में किया जाना था, किन्तु कोरोना महामारी के प्रकोप के कारण इसे स्थगित करना पड़ा । विश्व हिन्दी सम्मेलन को 3 वर्ष के अन्तराल में आयोजित किए जाने का प्रावधान है ।

शुरू में इसे 4 वर्ष के अन्तराल में आयोजित किया जाता था । वर्तमान समय में फिजी में तीन भाषाओं को सरकारी स्तर पर मान्यता प्राप्त है जिनमें से एक हिन्दी भी है । संयुक्त राष्ट्र के 2020 के एक रिपोर्ट के अनुसार फिजी की कुल जनसंख्या में 30 प्रतिशत से अधिक लोग भारतीय मूल के हैं ।

1975 में नागपुर में हुए प्रथम विश्व हिन्दी सम्मेलन से लेकर अब तक के 11 वें संस्करण तक विश्व हिन्दी सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य हिन्दी को संयुक्त राष्ट्र संघ की एक आधिकारिक भाषा बनाना रहा है । भले ही इस उद्देश्य की प्राप्ति अब तक नहीं हो पाई है, किन्तु हिन्दी के वैश्वीकरण में विश्व हिन्दी सम्मेलन की भूमिका अतुलनीय है ।

प्रत्येक सम्मेलन में विश्व के कई देशों से हिन्दी प्रेमी, साहित्यकार, लेखक, पत्रकार, शिक्षविद् एवं भाषाविद् बड़ी संख्या में इस आयोजन में सम्मिलित होते हैं । विगत में हुए सम्मेलनों की श्रृंखलाओं को देखें तो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हिन्दी के प्रति लोगों की जागरूकता अवश्य बड़ी है ।

हिन्दी की विकास यात्रा का आकलन किया जाए तो हिन्दी ने कई मुश्किल समझी जाने वाली चुनौतियों को भी पार कर लिया है । तकनीकी रूप से भी हिन्दी अब एक सशक्त भाषा बन चुकी है । आज कंप्यूटर के अनुप्रयोग तथा सूचना एवं संचार क्रांति के कारण हिंदी का महत्त्व और भी अधिक हो गया है ।

प्रथम विश्व हिन्दी सम्मेलन की संकल्पना के द्वारा ही 2008 में मॉरीशस में विश्व हिन्दी सचिवालय की स्थापना की गई । कई देशों में इसके क्षेत्रीय कार्यलय खोले जाने की योजना भी प्रस्तावित है । हिन्दी के बढ़ते हुए वैश्वीकरण में महात्मा गाँधी की भाषा नीति का महत्त्वपूर्ण स्थान है ।

हिन्दी के प्रचार-प्रसार और आधुनिक शिक्षण उपकरण विकसित करने में अग्रणी भूमिका निभाने वाले महात्मा गाँधी अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय भी विश्व हिन्दी सम्मेलन की संकल्पना का ही परिणाम है ।

विश्व हिन्दी सम्मेलन के उद्देश्यों के अनुरूप अंतर्राष्ट्रीय भाषा के रूप में हिन्दी के विकास और उन्नयन के लिए कई ठोस कार्यक्रम चलाए गए हैं, जिसके अंतर्गत विदेशों में हिन्दी के शिक्षण, पाठ्यक्रमों के निर्धारण, पाठ्य-पुस्तकों के निर्माण, अध्यापकों के प्रशिक्षण आदि की व्यवस्था की गई है ।

हिन्दी में ज्ञान-विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं तकनीकी विषयों पर सरल एवं उपयोगी पुस्तकों का सृजन किया गया है । हिन्दी को वैश्विक स्तर पर लोकप्रिय बनाने के लिए विदेशी हिन्दी लेखकों को भी पाठ्यक्रमों में सम्मिलित करके उन्हें प्रोत्साहन दिए जाने की व्यवस्था की गई है ।

साहित्य से इतर हिन्दी को सूचना तकनीक के विकास, मानकीकरण, विज्ञान एवं तकनीकी लेखन, वाणिज्य एवं संचार माध्यमों की प्रमुख भाषा के रूप में स्थापित किया जाने लगा है । विदेशों में हिन्दी के प्रचार-प्रसार और पाठ्यक्रमों के निर्माण में केन्द्रीय हिन्दी संस्थान भी अभूतपूर्ण कार्य कर रहा है ।

इस तरह हिन्दी का वैश्वीकरण बहुत तेजी से बढ़ रहा है और इसे एक महत्त्वपूर्ण संपर्क भाषा के रूप में प्रयुक्त किया जा रहा है ।आज विश्व के 150 से अधिक विश्वविद्यालयों में हिन्दी को एक विशेष भाषा के रूप में पढ़ाया जाता है । सांस्कृतिक, आर्थिक और राजनैतिक शक्ति के रूप में भी हिन्दी स्थापित हो चुकी है ।

वैश्विक स्तर के साहित्य और सिनेमा के निर्माण ने भी हिन्दी के वैश्विकरण को बढ़ावा दिया है । हिंदी में वैश्विक स्तर के साहित्य सृजन ने हिंदी को वैश्विक चेतना की संवाहक बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया है । विश्व के लगभग 73 देशों में हिंदी अपना स्थान बना चुकी है ।

विश्व में हिन्दी सबसे अधिक बोली और समझी जाने वाली तीसरी बड़ी भाषा है । यही कारण है कि आज विश्व भारत को एक उभरता हुआ महाशक्ति के रूप में देखने लगा है । हिंदी की वैश्विक उपयोगिता और बढ़ते प्रभुत्व क्षेत्र को रेखांकित करते हुए संयुक्त राष्ट्र महासभा ने अपने कामकाज के भाषा के रूप में हिन्दी को भी सम्मिलित कर लिया है ।

भले ही, हिन्दी अभी भी संयुक्त राष्ट्र संघ की अधिकारिक भाषा का दर्जा प्राप्त नहीं कर पाई हो, किन्तु इससे यह संभावना और प्रगाढ़ हो चुकी है कि आने वाले समय में हिन्दी और अधिक मुखर होगी ।
हिन्दुस्तानी भाषा भारती पत्रिका की ओर से आप सभी को 12 वें विश्व हिन्दी सम्मेलन’ की अग्रिम शुभकामनाएँ प्रेषित करता हूँ ।

सुधाकर पाठक

सुधाकर पाठक – अध्यक्ष, हिन्दुस्तानी भाषा अकादमी

न्यूजलेटर

हमारे नए प्रकाशन और अपडेट्स की जानकारी के लिए

You have been successfully Subscribed! Ops! Something went wrong, please try again.

© 2024 सुधाकर पाठक

Total Visitors

0 0 0 0 8 0