वैश्विक स्तर पर हिन्दी के बढ़ते प्रभुत्व क्षेत्र को रेखांकित करते हुए संयुक्त राष्ट्र महासभा की ओर से बहुभाषावाद पर भारत के प्रस्ताव को पारित कर दिया गया है । अब संयुक्त राष्ट्र ने अपनी भाषाओं में हिंदी को भी सम्मिलित कर लिया है । इस बहुभाषावाद प्रस्ताव के तहत उर्दू और बांग्ला भाषा को भी सम्मिलित किया गया है ।
भारत द्वारा 1946 में प्रस्तावित पत्र में कहा गया था कि सयुक्त राष्ट्र के उद्दश्यों को तब तक प्राप्त नहीं किया जा सकता जब तक कि विश्व के लोगों तक इसकी जानकारी नहीं हो जाती । विश्व के जनसमुदाय तक पहुँचने के लिए बहुभाषावाद एक सर्वोत्तम माध्यम है । जब अनेक भाषाओं के माध्यम से सूचनाओं, उद्देश्यों एवं योजनाओं को संप्रेषित किया जाएगा, तब वास्तव में ही उसकी पहुँच और धमक बृहत् और व्यापक होगी ।
इसी बात को ध्यान में रखते हुए संयुक्त राष्ट्र ने पहली बार महसूस किया कि संयुक्त राष्ट्र के कामकाज में हिन्दी एवं अन्य भाषाओं को भी बढ़ावा दिया जाना चाहिए । यहाँ ध्यान दिया जाए कि संयुक्त राष्ट्र के कामकाज के लिए ही हिन्दी को प्रयुक्त किया जा रहा है, किन्तु यह संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषा का दर्जा नहीं है ।
फिर भी, भारत के लिए यह एक बहुत बड़ी उपलब्धि है । भारत और विश्व के सभी हिन्दी प्रेमियों के लिए यह बड़े गर्व की बात है।द्वितीय विश्वयुद्द समाप्त होने के बाद विजेता देशों ने मिलकर अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर हस्तक्षेप करने के उद्देश्य से ‘संयुक्त राष्ट्र’ नामक अंतर्राष्ट्रीय संस्था को स्थापित किया था ।
वे चाहते थे कि भविष्य में फिर कभी विश्वयुद्ध जैसी स्थिति जन्म न लें और इसके साथ ही अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा, मानव अधिकार एवं वैश्विक शान्ति कायम रहे । उस समय संयुक्त राष्ट्र के अधिकारपत्र पर 50 देशों के हस्ताक्षर से 24 अक्टूबर, 1945 में संयुक्त राष्ट्र की स्थापना की गई ।
शुरू में अंग्रेजी, फ्रेंच, रूसी और चीनी भाषा को ही आधिकारिक भाषा के रूप में सम्मिलीत किया गया था, क्योंकि यह महाशक्ति देशों की भाषा थीं । बाद में अरबी और स्पेनिश को भी अधिकारिक भाषा का दर्जा दिया गया । वर्तमान समय में संयुक्त राष्ट्र महासभा में 193 देश सम्मिलित हैं और अभी तक 6 भाषाओं को अधिकारिक भाषा का दर्जा प्राप्त है ।
इससे पहले संयुक्त राष्ट्र सचिवालय की कामकाजी भाषाओं में केवल अंग्रेजी और फ्रेंच ही प्रयुक्त की जाती रही हैं, किन्तु अब हिन्दी को भी सम्मिलित करने से संयुक्त राष्ट्र की वेबसाइट पर हिंदी में भी सूचनाओं को संग्रहित किया जाएगा ।
संयुक्त राष्ट्र में किसी भाषा को आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता देने के लिए कोई विशेष मापदण्ड नहीं बनाया गया है, किन्तु इसकी भी एक प्रक्रिया है जिसके तहत किसी भाषा को आधिकारिक भाषा के रूप में स्वीकार किया जाता है ।
किसी भाषा को संयुक्त राष्ट्र में आधिकारिक भाषा के रूप में शामिल किए जाने की प्रक्रिया में संयुक्त राष्ट्र महासभा में साधारण बहुमत द्वारा संकल्प को स्वीकार करना और संयुक्त राष्ट्र की कुल सदस्यता के दो तिहाई बहुमत द्वारा उसे अन्तिम रूप से पारित करना होता है । भारत लम्बे समय से हिन्दी को संयुक्त राष्ट्र संघ की आधिकारिक भाषा बनाने की मुहीम में प्रयासरत है ।
हिन्दी को अंतर्राष्ट्रीय भाषा के रूप प्रतिष्ठित करने के उदेश्य से 2008 में मॉरिसस में विश्व हिन्दी सचिवालय खोला गया । वर्ल्ड लैंग्वेज डेटाबेस के 22वें संस्करण एथ्नोलॉज के अनुसार विश्व की 20 सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषाओं में 6 भारतीय भाषाएँ हैं, जिनमें हिन्दी तीसरे पायदान पर है ।
एथ्नोलॉज में बताया गया है कि विश्व में 61.5 करोड़ लोग हिन्दी भाषा का प्रयोग करते हैं । अपनी मजबूत संख्याबल के आधार पर ही भारत हिन्दी को एक वैश्विक भाषा बनाने के लिए आन्दोलनरत है ।
बाजारवाद और भूमंडलीकरण के इस दौर में भारत एक मजबूत आर्थिक शक्ति के रूप में जिस तेजी से आगे बढ़ रहा है, उससे विश्व का ध्यान भारत की शिक्षा, साहित्य, संस्कृति, सामाजिक संरचना और लोक कलाओं को जानने के लिए उत्सुक है ।
संयुक्त राष्ट्र महासभा के कामकाजी भाषा के रूप में ही सही, हिन्दी के लिए यह बहुत बड़ी उपलब्धि है । इससे देश के भीतर हिन्दी के प्रति लोगों के मन में जो संकुचित धारणा और हीन भावना पनपी है उसमें सकारात्मक परिवर्तन आएगा । हिन्दी के लिए जहाँ भी बंदिशें थीं उनकी नकेल टूटेंगी और विकास के नए द्वार खुलेंगे ।
अब समय आ गया है कि हम विदेशी भाषाओं को शिक्षा के माध्यम की भाषा बनाने के बजाय उन भाषाओं में उपलब्ध ज्ञान-विज्ञान, सूचना, तकनीकी जैसे विषयों को हिन्दी में अनुवाद करें और देश-विदेश में प्रचार-प्रसार करें । आज हम गर्व करते हैं कि हिन्दी विश्व में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली दूसरी भाषा है ।
संख्याबल के आधार पर हिन्दी मजबूत है, यह अच्छी बात है । साहित्य और सिनेमा की भाषा के बदौलत आज हम विश्व में अपनी पहुँच बना पाए हैं, किन्तु वो दिन कितना सुखद होगा जब हिन्दी विश्व के तमाम लोगों के घरों में चूल्हा जलाने का काम करें; उनकी पेट की भाषा बने ।